कुछ ज्ञानी सेक्युलर(धर्मनिरपेक्ष) लोग ज्ञान बाँट रहे है की अयोध्या में मंदिर की जगह यूनिवर्सिटी बन जाना चाहिए उसमे से पढ़के अम्बेडकर निकलेंगे। ऐसी उदारता आपको सिर्फ हिन्दुओ में ही देखने को मिलेगी। कोई मुस्लिम ये नहीं कहेगा की चलके अजमेर या निजामुद्दीन की दरगाह हटाकर वहाँ यूनिवर्सिटी बना दो क्योकि मुस्लिम के लीये गैरइस्लामिक काफिर होता है जबकि हिन्दुओ में ऐसा नही है।विश्व् में हिन्दू धर्म ही ऐसा धर्म है जो ये कहता है की हमारे रास्ते अलग-अलग हो सकते है परन्तु हम सभी को उसी ईश्वर से मिलना है। यह बात सब जानते है की मुस्लिम आक्रमणकारियो ने न जाने कितने मंदिरो को तोड़े और वहाँ मस्जिद बनवाये। भारतीय पुरात्तव विभाग ये रिपोर्ट दे चूका है की जहाँ बाबरी मस्जिद था वहां पहले हिन्दू मंदिर था फिर भी कुछ लोग मुह उठा के कहने लगते है की बाबरी मस्जिद विध्वंस गलत हुआ लेकिन जो हिन्दू मंदिर तोड़े गए उस बारे में नही बोलते। पोलैंड जब आजाद हुआ तो वहां की सरकर ने रूसियो द्वारा राजधानी में बनाये गए चर्च तोड़वा दिए यहाँ तो अभी अयोध्या के सारे संत ये कह रहे है की मस्जिद ए अमन नाम से एक न्य मस्जिद फैजाबाद के बाहर कही भी बन जाये लेकिन सुन्नी वक्फ बोर्ड को ये भी मंजूर नही है सोचिये अरब में एयरपोर्ट बनाने के लिए रास्ते में आ रहे मस्जिद को तोड़कर उसी नाम से दूसरी जगह स्थानंतरित किया गया और क्या भारत में करोणों हिन्दुओ की आस्था के लिए मस्जिद स्थानांतरीत नही की जा सकती? ये तो दुर्भाग्य कहिये की कुछ राजनितिक पार्टियो के स्वार्थ के कारण राम मंदिर अब तक न बन सका लेकिन हा जब भी बनेगा वहाँ मंदिर ही बनेगा, लोग ये ज्ञान न बाटे की वहां यूनिवर्सिटी बनाया जाय
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